评书迷 首页 评书 百家讲坛 名人访谈 武侠小说 社会生活 刑警803 历史军事 广播 影视
教育 戏曲 名家论坛 人物纪实 通俗小说 纪实文学 刑侦反腐 恐怖玄幻 相声小品 音乐
单田芳_童林传250
[第001回] [第002回] [第003回] [第004回] [第005回] [第006回] [第007回] [第008回]
[第009回] [第010回] [第011回] [第012回] [第013回] [第014回] [第015回] [第016回]
[第017回] [第018回] [第019回] [第020回] [第021回] [第022回] [第023回] [第024回]
[第025回] [第026回] [第027回] [第028回] [第029回] [第030回] [第031回] [第032回]
[第033回] [第034回] [第035回] [第036回] [第037回] [第038回] [第039回] [第040回]
[第041回] [第042回] [第043回] [第044回] [第045回] [第046回] [第047回] [第048回]
[第049回] [第050回] [第051回] [第052回] [第053回] [第054回] [第055回] [第056回]
[第057回] [第058回] [第059回] [第060回] [第061回] [第062回] [第063回] [第064回]
[第065回] [第066回] [第067回] [第068回] [第069回] [第070回] [第071回] [第072回]
[第073回] [第074回] [第075回] [第076回] [第077回] [第078回] [第079回] [第080回]
[第081回] [第082回] [第083回] [第084回] [第085回] [第086回] [第087回] [第088回]
[第089回] [第090回] [第091回] [第092回] [第093回] [第094回] [第095回] [第096回]
[第097回] [第098回] [第099回] [第100回] [第101回] [第102回] [第103回] [第104回]
[第105回] [第106回] [第107回] [第108回] [第109回] [第110回] [第111回] [第112回]
[第113回] [第114回] [第115回] [第116回] [第117回] [第118回] [第119回] [第120回]
[第121回] [第122回] [第123回] [第124回] [第125回] [第126回] [第127回] [第128回]
[第129回] [第130回] [第131回] [第132回] [第133回] [第134回] [第135回] [第136回]
[第137回] [第138回] [第139回] [第140回] [第141回] [第142回] [第143回] [第144回]
[第145回] [第146回] [第147回] [第148回] [第149回] [第150回] [第151回] [第152回]
[第153回] [第154回] [第155回] [第156回] [第157回] [第158回] [第159回] [第160回]
[第161回] [第162回] [第163回] [第164回] [第165回] [第166回] [第167回] [第168回]
[第169回] [第170回] [第171回] [第172回] [第173回] [第174回] [第175回] [第176回]
[第177回] [第178回] [第179回] [第180回] [第181回] [第182回] [第183回] [第184回]
[第185回] [第186回] [第187回] [第188回] [第189回] [第190回] [第191回] [第192回]
[第193回] [第194回] [第195回] [第196回] [第197回] [第198回] [第199回] [第200回]
[第201回] [第202回] [第203回] [第204回] [第205回] [第206回] [第207回] [第208回]
[第209回] [第210回] [第211回] [第212回] [第213回] [第214回] [第215回] [第216回]
[第217回] [第218回] [第219回] [第220回] [第221回] [第222回] [第223回] [第224回]
[第225回] [第226回] [第227回] [第228回] [第229回] [第230回] [第231回] [第232回]
[第233回] [第234回] [第235回] [第236回] [第237回] [第238回] [第239回] [第240回]
[第241回] [第242回] [第243回] [第244回] [第245回] [第246回] [第247回] [第248回]
[第249回] [第250回]            

童林传:清康熙年间,童林(字海川)因偶然事件被迫离家出走。他绝路逢生,不仅得到武林名士何道源、尚道明相救相帮,练就“柳叶绵丝掌”、“子母鸡爪鸳鸯钺”等绝顶功夫。下山之后,童林以他正义、淳厚的为人赢得武林正派人主的信赖,使他们与他一起同各种邪恶势力进行争斗。在武林志士得帮助下,童林协助朝廷钦差年羹尧粉碎了英王富昌及十四阿哥的反叛阴谋。在此期间,他与雍亲王胤缜相遇相知,结为至交,多次就胤缜于危难之中,为其登基成为雍正皇帝立下汗马功劳。该书情节跌荡起伏,波谲云诡,扣人心弦。

单田芳:著名评书表演艺术家,1934年12月出生于辽宁营。单田芳从小喜欢评书,五岁时就能说短书《宫门挂玉带》。曾经考上东北工学院。为了评书艺术,中断学习。放弃了进修机会。后来在工作中坚持夜大学习,拿到了本科文凭。

单田芳说书有独特的艺术风格,深受听众喜爱。代表作有《隋唐演义》、《七杰五义》、《白眉大侠》、《百年风云》、《乱世枭雄》等。其中《白眉大侠》、《宏碧缘、《铁伞怪侠》被改编为电视连续剧播出。 设置数据不存在,调用已中止! 设置数据不存在,调用已中止!